जो बेसबब सी थीं, भुला दें वो हर बात चलो।
उम्र भर न सही, दो कदम तो साथ चलो।
चुप हो तुम भी कब से, चुप से हम भी हैं,
छेड़े कोई खामोश सी बात चलो।
तन्हाइयां भी ये ऊब गईं तन्हेपन से,
अब तो हाथों में लेकर मेरा तुम हाथ चलो।
जहां हो न कोई मेरे न तेरे जैसा,
दूर, कहीं दूर, मेरे हमराज़ चलो।
उम्र भर न सही, दो कदम तो साथ चलो।।
-उपमा सिंह
उम्र भर न सही, दो कदम तो साथ चलो।।... अच्छी अभिव्यक्ित।
ReplyDeleteधन्यवाद सर
ReplyDelete