चलो
हम-तुम
लौट चलें फिर
उसी शहर की, उसी गली में
जहां से चले थे साथ
उसी जगह पर
जहां थामा था, एक-दूजे का हाथ
चलो
खो जाएं फिर
उन्हीं वादियों में
जहां थे, बस खुशियों के रंग
फिर बुनें वो सपने
जिनमें कुछ भी ना हो बेरंग
चलो
फिर चले
इक नई जि़ंदगी सजाने के वास्ते
पर अबकी छोड़ देना
वो मोड़
जहां जुदा हो जाते थे
मेरे-तुम्हारे रास्ते
-उपमा सिंह
हम-तुम
लौट चलें फिर
उसी शहर की, उसी गली में
जहां से चले थे साथ
उसी जगह पर
जहां थामा था, एक-दूजे का हाथ
चलो
खो जाएं फिर
उन्हीं वादियों में
जहां थे, बस खुशियों के रंग
फिर बुनें वो सपने
जिनमें कुछ भी ना हो बेरंग
चलो
फिर चले
इक नई जि़ंदगी सजाने के वास्ते
पर अबकी छोड़ देना
वो मोड़
जहां जुदा हो जाते थे
मेरे-तुम्हारे रास्ते
-उपमा सिंह
बहुत ही अच्छी कविताएं।
ReplyDeleteकविताएं एक जगह उपलब्ध्ा करवाने के लिए शुक्रिया।
बहुत बहुत धन्यवाद नमिता जी ...
Deleteआपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया हमेशा प्रोत्साहित करती है