ज्ञान मुझसे, ध्यान मुझसे
रंक क्या धनवान मुझसे
सुर भी मुझसे, तान मुझसे
जीवन का हर गान मुझसे
मैं सती, सीता भी मैं ही
तेरा हर भगवान मुझसे
मैं ही काली, मैं ही दुर्गा
कौन है बलवान मुझसे
मैं धरा, अम्बर पे भी मैं
किसलिए ये गुमान मुझसे
मेरे बिन तू है ही क्या
तेरी हर पहचान मुझसे
मैं ही जननी, मैं ही भगिनी
फिर भी ये अपमान मुझसे
मैं नहीं तो, तू ना होगा
मत उलझ नादान मुझसे
-उपमा सिंह
रंक क्या धनवान मुझसे
सुर भी मुझसे, तान मुझसे
जीवन का हर गान मुझसे
मैं सती, सीता भी मैं ही
तेरा हर भगवान मुझसे
मैं ही काली, मैं ही दुर्गा
कौन है बलवान मुझसे
मैं धरा, अम्बर पे भी मैं
किसलिए ये गुमान मुझसे
मेरे बिन तू है ही क्या
तेरी हर पहचान मुझसे
मैं ही जननी, मैं ही भगिनी
फिर भी ये अपमान मुझसे
मैं नहीं तो, तू ना होगा
मत उलझ नादान मुझसे
-उपमा सिंह
मैं नहीं तो, तू ना होगा
ReplyDeleteमत उलझ नादान मुझसे...
सही कहा आपने !